नई दिल्ली. रिलायंस जियो ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के 195 करोड़ रुपए का भुगतान दूरसंचार विभाग को कर दिया है। इसमें 31 जनवरी तक का पेमेंट शामिल है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से गुरुवार को यह जानकारी दी। सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2019 के फैसले में टेलीकॉम कंपनियों पर बकाया एजीआर के भुगतान की तारीख 23 जनवरी ही तय की थी। हालांकि, भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने दूरसंचार विभाग से और वक्त मांगा है। इन पर 88,624 करोड़ रुपए बकाया हैं। इन कंपनियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते सुनवाई होने तक इंतजार करेंगे। इन कंपनियों ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर भुगतान का नया शेड्यूल तय करने की अपील की थी।
टेलीकॉम कंपनियों पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं होगी: रिपोर्ट
उधर, दूरसंचार विभाग ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि टेलीकॉम कंपनियां बकाया भुगतान नहीं करें तो फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की जाए। सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश तक इंतजार करें। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार विभाग के राजस्व मामलों से संबंधित शाखाओं के प्रमुख की मंजूरी के बाद ये निर्देश जारी किए गए।
एजीआर विवाद क्या है?
टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर का 3% स्पेक्ट्रम फीस और 8% लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। कंपनियां एजीआर की गणना टेलीकॉम ट्रिब्यूनल के 2015 के फैसले के आधार पर करती थीं। ट्रिब्यूनल ने कहा था कि किराए, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे नॉन कोर स्त्रोतों से प्राप्त रेवेन्यू को छोड़ बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल होंगी। विदेशी मुद्रा विनिमय (फॉरेक्स) एडजस्टमेंट को भी एजीआर में माना गया। हालांकि फंसे हुए कर्ज, विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव और कबाड़ की बिक्री को एजीआर की गणना से अलग रखा गया। दूरसंचार विभाग किराए, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और कबाड़ की बिक्री से प्राप्त रकम को भी एजीआर में मानता है। सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार विभाग की गणना को ही सही माना था। टेलीकॉम कंपनियों को इसी आधार पर बकाया फीस ब्याज और पेनल्टी समेत चुकानी है।
किस कंपनी पर कितना बकाया ?
कंपनी | बकाया (रुपए) |
भारती एयरटेल | 35,586 करोड़ |
वोडाफोन-आइडिया | 53,038 करोड़ |
टाटा टेली सर्विसेज | 13,823 करोड़ |